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    Digital figure of easygoing India: Alhad bharat ki digital tasveer (1) (Hindi Edition)

    Por Mridul C Srivastava

    Sobre

    इंटरनेट भारत के कुछ एक गाँवों और कस्बों तक ही पहुँचा है

    पिछले लगभग दस वर्ष से भारत में विभिन्न क्षेत्रों में इंटरनेट का प्रयोग हो रहा है.

    जहाँ पहले ऐसा लग रहा था कि भारत में इंटरनेट का विस्तार बहुत तेज़ गति से हो रहा है, वहीं अब लग रहा है कि इसका विस्तार कुछ थम सा गया है.

    भारत की केवल 1.65 प्रतिशत जनसंख्या ही इंटरनेट का प्रयोग करती है. भारत में 33 लाख इंटरनेट कनेक्शन हैं और इस्तेमाल करने वाले हैं मात्र एक करोड़ 65 लाख लोग.

    यह तथ्य हाल ही में भारत के सूचना तकनीक मंत्रालय में राज्य मंत्री संजय पासवान ने भारतीय संसद में पेश किए.

    दूरसंचार की समस्या

    कंप्यूटर महँगे हैं और इंटरनेट कैफ़े शहरों तक सीमित हैं
    इसके मुक़ाबले अमरीका में कुल जनसंख्या का 58.5 प्रतिशत, ब्रिटेन में 55.3 प्रतिशत, कनाडा में 53.2 प्रतिशत और जापान में 39.1 प्रतिशत इंटरनेट का प्रयोग करता है.

    60-65 प्रतिशत ग्रामीण अशिक्षित,कुल सरकारी आंकड़ों की माने तो 30 करोण लोग आज भी नाम लिख पढ़ नही सकते जो कि साक्षरता का एक मात्र आवश्यक उपाधि है लिख लो और पढ़ लो , हो गए साक्षर 70 प्रतिशत लगभग,

    हर दूसरा बच्चा 50 प्रतिशत कुपोषित है,ग्रामीण इलाकों में 80% बच्चे 1-8 तक जाते जाते स्कूल छोड़ देते है, आज भी 30 करोण लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन जी रहे है l 60% ग्रामीण आज भी शौचालय का प्रयोग नही करते , है ही नही *शौचमुक्त...
    74% ग्रामीण क्षेत्र एवं किसानों का भारत की कुल gdp में 15%योगदान है ,बाकी 25% शहरी अन्य उद्योग और सेवा क्षेत्र देश के 85% पर कुंडली मारे बैठे हैं l

    योजना - स्मार्ट सिटी , डिजिटल , लोकपाल नही नोटबन्दी, स्टार्टअप , सेटअप...
    इन शब्दों का अर्थ ये यूजर 74 ही नही 25 में से 23 नही बता सके पर विमुद्री कारण पर आर्थिक ज्ञान बखूबी वितरित किया l

    आजादी के समय में लिखी बाबा नागार्जुन की यह पंक्तियाँ परिवर्तन को स्पस्ट कर देंगी कि आज इन समस्याओं में से कितने हल हो चुके है

    मलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने को,
    डंडपाणि को लठ्ठ चाहिए बिगड़ी बात बनाने को!
    जंगल में जाकर देखा, नहीं एक भी बांस दिखा!
    सभी कट गए सुना, देश को पुलिस रही सबक सिखा!

    जन-गण-मन अधिनायक जय हो, प्रजा विचित्र तुम्हारी है
    भूख-भूख चिल्लाने वाली अशुभ अमंगलकारी है!
    बंद सेल, बेगूसराय में नौजवान दो भले मरे
    जगह नहीं है जेलों में, यमराज तुम्हारी मदद करे।

    ख्याल करो मत जनसाधारण की रोज़ी का, रोटी का,
    फाड़-फाड़ कर गला, न कब से मना कर रहा अमरीका!
    बापू की प्रतिमा के आगे शंख और घड़ियाल बजे!
    भुखमरों के कंकालों पर रंग-बिरंगी साज़ सजे!

    ज़मींदार है, साहुकार है, बनिया है, व्योपारी है,
    अंदर-अंदर विकट कसाई, बाहर खद्दरधारी है!
    सब घुस आए भरा पड़ा है, भारतमाता का मंदिर
    एक बार जो फिसले अगुआ, फिसल रहे हैं फिर-फिर-फिर!

    छुट्टा घूमें डाकू गुंडे, छुट्टा घूमें हत्यारे,
    देखो, हंटर भांज रहे हैं जस के तस ज़ालिम सारे!
    जो कोई इनके खिलाफ़ अंगुली उठाएगा बोलेगा,
    काल कोठरी में ही जाकर फिर वह सत्तू घोलेगा!

    माताओं पर, बहिनों पर, घोड़े दौड़ाए जाते हैं!
    बच्चे, बूढ़े-बाप तक न छूटते, सताए जाते हैं!
    मार-पीट है, लूट-पाट है, तहस-नहस बरबादी है,
    ज़ोर-जुलम है, जेल-सेल है। वाह खूब आज़ादी है!

    रोज़ी-रोटी, हक की बातें जो भी मुंह पर लाएगा,
    कोई भी हो, निश्चय ही वह कम्युनिस्ट कहलाएगा!
    नेहरू चाहे जिन्ना, उसको माफ़ करेंगे कभी नहीं,
    जेलों में ही जगह मिलेगी, जाएगा वह जहां कहीं!

    सपने में भी सच न बोलना, वर्ना पकड़े जाओगे,
    भैया, लखनऊ-दिल्ली पहुंचो, मेवा-मिसरी पाओगे!
    माल मिलेगा रेत सको यदि गला मजूर-किसानों का,
    हम मर-भुक्खों से क्या होगा, चरण गहो श्रीमानों का!
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